Monday 28 September 2015
आज फिर तन्हा में बैठा, तुम साथ मेरे चल न पाओगे
आज फिर तनहा में बैठा, तुम साथ मेरे चल न पाओगे मे हु मजनू तेरा अंदाज़ हे ज़माने वाला ,तुम साथ मेरे चल न पाओगे ये माना तुम्हे भी इश्क़ हे हमसे मगर वादे मोम बत्तियों जैसे ज़माने की आग में पघलने वाले मेरे दिल को भी यूँही जलाओगे तुम साथ मेरे चल न पाओगे रेहबर खुदको बुलाने वाले नयी राहों की तलाश में क्योँ हे पल भर में मेरी देहलीज़ भुलाने वाले मौत तक साथ क्या निभाओगे तुम साथ मेरे चल न पाओगे हवाओं को भी अपना बना लिया तुमने रेशमी ज़ुल्फ़ों की आड़ में साँसों तक का मोहताज़ बनादिया तुमने और क्या सितम ढाओगे तुम साथ मेरे चल न पाओगे , तुम साथ मेरे चल न पाओगे ......
*Written By: JN Mayyaat*
इक मुद्दत से तेरी याद न आए और तुझे भूल जाऊं में ऎसा भी नहीं
इक मुद्दत से तेरी याद न आए और
तुझे भूल जाऊं में ऎसा भी नहीं दिल को मेरे चिर के देख कोई और बसा मिलजाए में ऎसा भी नहीं मगर हो तेरी आँखें नम और
मेरे अश्क़ सूख जाए में ऎसा भी नहीं तुझे बर्बाद करने वाला कोई और नहीं तू खुद ही हे
यकीन कर माना की सख्त मिजाज़ हु में लेकिन पत्थर से कम तू भी नहीं तेरी नादानियों को अपनाउं
तू मेरी रूह को रुलाए में ऎसा भी नहीं खामोश बन देखूँ तमाशा तू मेरे इश्क़ को आजमाए में ऎसा भी नहीं रुठने का हक़ हे
तुझे भी मगर कभी गलती तो करने दे मुझे में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं , में ऎसा भी नहीं
Written By: *J N Mayyaat*
खूब थे वो बचपन के दिन जहां सुन्दर सपना दीखता था
खूब थे वो बचपन के दिन जहां सुन्दर सपना दीखता था जहां भी जाती मेरी नज़र वहां सब अपना सा दीखता था डगमगाती हे
कलम मेरी अब दुनिया की इस भीड़ में नफरत की आंधी से पहले मिठे से गीत में लिखता था
जहां भी जाती मेरी नज़र वहां सब अपना सा दीखता था नहीं हे मुम्किन अब वो लम्हें खोगया हे कहीं चैन भी अब डरता हूँ
चलने से कभी गिर गिर के में उठता था जहां भी जाती मेरी नज़र वहां सब अपना सा दीखता था परवाह नहीं
किसीको किसीकी सब ख़ुदग़र्ज़ लोग हें
कभी ठोकर लगजाति मुझे तो थामने वाला मिलता था जहां भी जाती मेरी नज़र वहां सब अपना सा दीखता था
खूब थे वो बचपन के दिन जहां सुन्दर सपना दीखता था
Written By: *J N Mayyaat
Today, sitting in the sequestered
आज फिर तनहा में बैठा , तुम साथ मेरे चल न पाओगे मे हु मजनू तेरा अंदाज़ हे ज़माने वाला ,तुम साथ मेरे चल न पाओगे ये माना तुम्हे भी इश्क़ हे हमसे मगर वादे मोम बत्तियों जैसे ज़माने की आग में पघलने वाले मेरे दिल को भी यूँही जलाओगे तुम साथ मेरे चल न पाओगे रेहबर खुदको बुलाने वाले नयी राहों की तलाश में क्योँ हे पल भर में मेरी देहलीज़ भुलाने वाले मौत तक साथ क्या निभाओगे तुम साथ मेरे चल न पाओगे हवाओं को भी अपना बना लिया तुमने रेशमी ज़ुल्फ़ों की आड़ में साँसों तक का मोहताज़ बनादिया तुमने और क्या सितम ढाओगे तुम साथ मेरे चल न पाओगे , तुम साथ मेरे चल न पाओगे ...... Written By *JN Mayyaat*
Today, in the shadow give me somewhere Khojane
आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे सुकूं हे इन रेतों में,
मुझे यहीं सोजाने दे मुम्किन नहीं सनम इस भीड़ में जीना मुझे अब तन्हाईओं का ही होजाने दे न राहत हे,
न जीने की चाहत हे मुझे मुझे तू गुज़रा हुआ पल ही होजाने दे मंज़िल है न ठिकाना तेरी मोहोब्बत में वफ़ा की तलाश में ही कहीं खोजाने दे, आज अंधेरों मे मुझे कहीं ख़ोजाने दे सुकूं हे इन रेतों में मुझे यहीं सोजाने दे .....
Written By *JN Mayyaat*
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तेरी सख़्तियों में भी एक राहत सी हे ज़िन्दगी जैसे तेरी चाहत सी हे तेरी यादों का भी जवाब नहीं सनम हवाओं में भी तेरी ही महक छाई हे ...
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